सरल फिल्म बनाना सबसे मुश्किल काम होता है, जिसमें चमक-दमक ना हो, जिसमें हैरतअंगेज टेक्नोलॉजी की जगमग ना हो, लेकिन कंटेंट इतना प्रकाशमान हो, जिसमें सब साफ-साफ नजर आए। यकीन मानिए इतनी सरल फिल्म बनाना सबसे मुश्किल काम है। शायद इसीलिए हम ऋषिकेश मुखर्जी जैसे फिल्मकारों को आज भी अमर मानते हैं।
पंगा उसी परंपरा को आगे बढ़ाती है। यह कहानी साधारण मध्यमवर्गीय सरकारी परिवार के परिवेश में बसाई गई है। जया (कंगना रनोट) और प्रशांत (जस्सी गिल) बेटे आदी (योग्य भसीन) के साथ भोपाल के रेलवे क्वार्टर में रहते हैं। जया रेलवे मैं नौकरी करती है। यात्रियों को टिकट देना उसका जॉब है। रेलवे में नौकरी उसे इसलिए मिली है क्योंकि वह कबड्डी नेशनल टीम की कप्तान रही है। देश के लिए कई सारे मेडल जीत चुकी है। लेकिन शादी के बाद घर-परिवार बच्चा नौकरी मे खो गई है।